पवना डॅम
बघता बघता तीन वर्ष झाली....याच दिवशी पावसात भिजून धमाल केली होती.....
छत्री न खोल उड जायेगी .....हवा तेज है.....पवना धरणाजवळ पावसांत केलेली धमाल ....!!!!
Photo credit Apoorv Deshmukh सेल्फी मूड !!!!!
पावसांत भिजताना जावेद अख्तरच्या याच ओळी आठवत होत्या .....
रिमझिम रिमझिम, रुमझुम रुमझुम
भीगी भीगी रुत में, तुम हम, हम तुम
चलते हैं, चलते हैं
बजता है जलतरंग, टीन की छत पे जब मोतीयो जैसा जल बरसे
बूंदो की ये लड़ी लाई है वो घड़ी, जिसके लिए हम तरसे
बादल की चादरे ओढ़े हैं वादीयाँ, सारी दिशाएँ सोई हैं
सपनों की गाँव में, भीगी सी छाँव में, दो आत्माए खोई हैं
आयी हैं देखने झीलों के आईने, बालों को खोले घटाएं
राहे धुआँ धुआँ, जायेंगे हम कहाँ, आओ यहीं पे रह जाए
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